Thursday, July 17, 2008

मौलाना रूमी और कबीर - The Genius of the Past

ख़ुद कूज़ा-ओ-ख़ुद कूज़ागर-ओ-ख़ुद गिल-ए-कूज़ा, ख़ुद रिंद-ए-सुबूकश,

ख़ुद बर सरे आँ कूज़ा ख़रीदार बर आमद , बिश्कस्त-ए-रवां शुद ।

(वोह ख़ुद ही मिट्टी का प्याला है, ख़ुद ही उसको बनाने वाला और ख़ुद ही वोह मिट्टी है जिससे प्याला बनता है और ख़ुद ही उस प्याले में शराब पीने वाला। फिर वोह ख़ुद उस प्याले का ख़रीदार बन कर आता है और प्याले को तोड़ कर चल देता है)

-मौलाना रूमी

जैसे बट का बीज ताहि में पत्र - फूल -फल - छाया,

काया मद्धे बीज बिराजे, बीजा मद्धे काया ।

कहैं कबीर सुनो भाई साधो, सत्य शब्द निज सारा,

आपा मद्धे आपै बोलै, आपै सिरजनहारा ।

- कबीर

Monday, July 7, 2008

गिरती तहज़ीब - 'उर्दू'

ग़ालिब जिसे कहते हैं, उर्दू का ही शायर था

उर्दू पे सितम ढा कर, ग़ालिब पे करम क्यों है.

- साहिर लुधियानवी