'The most contradictory, irrational nonsense that has been preached in the world is simply the instinctive jargon of confused lunatic brains trying to pass for the language of inspiration '
- Swami Vivekanand
'जिस सर्वाधिक विरोधाभासी, तर्कहीन बकवास का दुनिया भर में प्रचार किया गया है, वो केवल एक भ्रमित पागल दिमाग़ का स्वाभाविक शब्दजाल है जो उसे प्रेरणा की भाषा में पारित करना चाहता है'
- स्वामी विवेकानंद
Tuesday, July 21, 2009
Thursday, July 16, 2009
Saturday, July 4, 2009
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