Saturday, July 4, 2009

आए कुछ अब्र...


आए कुछ अब्र, कुछ शराब आए,
उसके बाद आए जो अज़ाब आए.
-फैज़ अहमद 'फैज़'
(अब्र - बादल, अज़ाब - मुसीबत)

6 comments:

  1. ऐसे में तो बात आशावादी होनी चाहिए थी।

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  2. दिनेश जी, अब्र और शराब का इंतज़ार और मुसीबतों को ठुकराने के हौसले से बढ़ कर आशावादी बात और क्या हो सकती है.

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  3. आप का ब्लाग अच्छा लगा... बहुत बहुत धन्यवाद...

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