Tuesday, July 21, 2009

धर्म और स्वामी विवेकानंद

'The most contradictory, irrational nonsense that has been preached in the world is simply the instinctive jargon of confused lunatic brains trying to pass for the language of inspiration '
- Swami Vivekanand

'जिस सर्वाधिक विरोधाभासी, तर्कहीन बकवास का दुनिया भर में प्रचार किया गया है, वो केवल एक भ्रमित पागल दिमाग़ का स्वाभाविक शब्दजाल है जो उसे प्रेरणा की भाषा में पारित करना चाहता है'
- स्वामी विवेकानंद

Thursday, July 16, 2009

एकाँत - मेरी कुछ तसवीरें

ये ना सुबह-ए-बहाराँ है, ना है शाम-ए-फिर्दौस







(सुबह-ए-बहाराँ - वसंत प्रभात, शाम-ए-फिर्दौस - स्वर्ग संध्या)

Saturday, July 4, 2009

आए कुछ अब्र...


आए कुछ अब्र, कुछ शराब आए,
उसके बाद आए जो अज़ाब आए.
-फैज़ अहमद 'फैज़'
(अब्र - बादल, अज़ाब - मुसीबत)