Wednesday, January 14, 2009

तुम कौन हो? एक आज़ाद नज़्म

तुम कौन हो?

तुम कौन हो,
जो दबे पाँव आकर,
चुपके से,
मेरे कानों में कुछ कह जाती हो?
फिर मैं,
जैसे मौज-ए-आवारा कोई,
वुस्सअ'त-ए-दरिया की
संजीदः रवानी में बह जाती हो।

तुम कौन हो?

तुम कौन हो,
इसी ख़याल से,
सजता रहे आहंग-ए-नज़्म,
कटता रहे हस्ती का सफ़र।
मगर उफ़!
ये रोज़-ए-हस्ती के शोर-ओ-ग़ुल का असर!
आतिशपारे ख़ामोश,
क्या बुझी ज़िंदगी जी लें?
तक़ाज़ा-ए-बहार तो हो,
और ग़ुँचे लब सी लें?

शायद,
इस अधूरी नज़्म के अंजाम के होने तक,
इस रोज़-ए-हस्ती के शाम के होने तक,
फ़सील-ए-जिस्म में क़ैद,
ख़ुद ही को थामना होगा,
ख़ुदा जाने,
तुमसे कब सामना होगा।

( मौज-ए-आवारा - लक्ष्य और दिशा रहित नदी की लहर, वुस्सअ'त-ए-दरिया - नदी का विस्तार, संजीदः रवानी - गंभीर और शांत बहाव, आहंग-ए-नज़्म - काव्य की भूमिका, जीवन का आरंभिक काल, हस्ती का सफ़र -अस्तित्व की यात्रा, जीवनकाल, रोज़-ए-हस्ती - जीवनकाल, शोर-ओ-ग़ुल - शोर शराबा, सांसारिक दुश्वारियां, आतिशपारे - अंगार के टुकड़े, विचारबिन्दु, तक़ाज़ा-ए-बहार - वसंत के प्राप्त अधिकार की मांग, ग़ुँचे लब सी लें - कलियाँ खिलें ना , अंजाम - परिणाम, मृत्यु, फ़सील-ए-जिस्म - शरीर की चारदीवारी )

- हर्ष

3 comments:

  1. यदि उर्दु शब्दों के अर्थ दे दें तो समझने में बहुत सुविधा होगी। धन्यवाद।
    घुघूती बासूती

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  2. JANAB....JO BHI LIKHA HAI..BEHAD SHAYRANA HAI..THORI SI RUMANIYAT AUR BHAR DETE TO KAPHI LAJAWAB BAN JATA......

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  3. बहुत सुंदर…आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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