Sunday, September 7, 2008

मौत ने चुपके से जाने क्या कहा, ज़िन्दगी ख़ामोश होकर रह गयी.

Death of a great modern poet 'Ahmad Faraz'

उर्दू शायरी के एक युग का अंत

ज़िन्दगी तेरी अता है तो ये जाने वाला,

तेरी बख़्शीश, तेरी देहलीज़ पे धर जायेगा।

-अहमद फ़राज़

(January 14, 1934 - August 25, 2008)

एक शेर 'फ़राज़' के नाम -

कह रहा है दरिया से समंदर का सुकूत,

जिसका जितना ज़र्फ़ है उतना वो ख़ामोश है।

( सुकूत-ख़ामोशी, ज़र्फ़-सामर्थ्य, दिमाग़, क़ाबिलियत )

- इक़बाल

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